सोमवार, 2 जनवरी 2012

2012 का पहला दिन साल के बाकी दिनों के लिए

हम मिल कर जलें, रोशनी के लिए
- पंकज नारायण          

            जैसा कि हर साल हो ही जाता है। साल का पहला दिन, साल के बाकी दिनों को खुशहाल बनाने के लिए खर्च किया जाता है। दोस्तों को मैसेज करके, फोन करके, मिल कर, कहा- "आपका नव वर्ष मंगलमय हो"। गांव से मां का फोन आया। मेरी आवाज़ की ठंढ़क ने मां को फिर से बता दिया कि शहर एक अखबार है और मैं उसका क्लासिफाइड छोटका विज्ञापन। नए साल पर मां ने शहर की रौशनी का अंधेरा मिटाने के लिए दूर देस में एक दीया जलाया।
            जैसा कि हर साल होता है। नए साल पर 'यादें' एक साल पुरानी हो जाती है और नानी की कहानी उम्र में एक साल बड़ी हो जाती है। मैंने तय किया है कि यह साल मेरी कहानी का पहला साल होगा और हर साल इस कहानी की उम्र सौ साल बड़ी हो जाएगी। कहानी की पहली तारीख़ आज से शुरू होती है, एक नए पंकज नारायण के साथ, जिसे सपनों के गर्भ  में पल कर हक़ीक़त की धरती पर बड़ा होना है। इससे पहले किसी साल ने मुझे इतना रोमांचित नहीं किया था।      

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