मंगलवार, 3 जनवरी 2012

आज के दिन को थोड़ा- सा अपने पास से गुज़र कर देखा

- पंकज नारायण
मेरे नए जन्म की तैयारियों में व्यस्त चल रहे समय का एक और दिन आज शाम को सूरज के साथ चला गया। कुछ बातों के नरम व्यवहार से कुछ अच्छा- सा लगा। महान कथक- नर्तक पंडित बिरजू महाराज के यहां नए साल का केक खा कर शाम की मुलायम तहों में एक अच्छी स्मृति सहेज कर रख दी। फोन पर कुछ मित्रों ने नए साल की शुभकामनाओं के साथ मेरे ख़यालों के लिए अपनी बातों में जगह बनाई। रात कहती है कि बेटा सो जाओ, नहीं तो विचार आ जाएगा।


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