रविवार, 1 जनवरी 2012

एक ऐसा साल जिसका कई सालों से इंतज़ार था मुझे



रात ने आज फिर तारीख़ बदली। पिछली तारीख़ों ने ख़ुद को मिटा कर एक साल खड़ा किया और वह भी मेरी आंखों के सामने अंतिम सांसें गिन रहा था... तारीखें मिटी, साल मिटे, सदियां मिटी... नहीं मिटी तो रात की तारीख़ बदलने की आदत... नहीं मिटी तो उस एक तारीख़ पर हमारे मिटने की आदत... नहीं मिटी तो ख़त्म होने के बाद शुरू होने की अदा..

यह वो साल है, जिसका कई सालों से इंतज़ार कर रहा था। 2011 में ब्लॉग पर एक भी पोस्ट नहीं कर पाया। पता नहीं चला कि खुद को खोने के लिए इतना व्यस्त होना पड़ता है। 2012 का एक-एक दिन खुद को पाने में लगाउंगा।मेरी फिल्म, मेरी किताब, मेरा रचना संसार, सब को आना है इस साल। इस साल अपने ब्लॉग पर भी लगातार आऊंगा।

एक ठेठ भाषा में दुनिया के पन्नें पर रगड़ दूंगा खुद को। खुद को मिटा कर स्याही बनाउंगा। स्याही लिखेगी मेरा होना 2012 में।

पिछले कुछ सालों में अपने आप को, अपनों को बहुत मिस किया है। इस साल नहीं। कई सालों से घर नहीं गया। इस साल जाउंगा।

एक पागल परिंदा जो रात के सपनों में भटकता रहता है, उसके लिए इस साल एक घोसला बनाउंगा।
2012 की कोख से मेरे कुछ बच्चे निकलेंगे।

3 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

आपको २०१२ के लिए बधाई और शुभकामनाएं। बच्चों का इंतज़ार रहेगा हमें भी

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हमें भी प्रतीक्षा रहेगी।

Pankaj Narayan ने कहा…

अजय जी आपने हौसला दिया, हमें शक्ति मिली। प्रवीण जी शुक्रिया।